Header Ads Widget

Responsive Advertisement

अपना घर देखो.: A short story

अपना घर देखो.: A short story

गलती किसकी है?

माँ फोन पर बेटी से :- क्या दिया भाई ने राखी पर ?
बेटी :- एक साड़ी दी है, होगी हजार-बारह सौ की. माँ तुम्हें तो पता है भैय्या तो दिल का साफ है वो बहुत कुछ करना चाहता है लेकिन भाभी रोक देती है. वही लायी होगी इतनी सस्ती साड़ी. साल में एक बार तो देना होता है उसमें भी कंजूसी दिखा देती है.
माँ :- खैर छोड़ो.. क्या उसकी बातें करना. तु बता कल तेरी ननद आने वाली है. हो गई तैय्यारी. कर ली शॉपिंग.
बेटी :- हाँ , माँ हो गई शॉपिंग. ये तो कह रहे थे मीनू तीन साल में आ रही है. हम 5000 का लिफाफा दे देते है. समझाया मैंने इनको. इतना करने की क्या जरूरत है. चार दिन रूकेंगी भी. खाने-पीने पर खर्चा होगा फिर बच्चों के हाथ में भी पैसे देने होंगे. हमें अपना घर भी तो देखना है. 800 का सूट ले आयी हूं. बड़ा अच्छा डिजाईन है.
माँ :- अच्छा किया बेटा. पहले अपना घर देखो.

Post a Comment

0 Comments