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दौलत की हवस 

★  दौलत की हवस  ★
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मियां-बीबी दोनों मिलकर
पैसा खूब कमाते हैं,
३० लाख का मोटा पैकेज
सालाना दोनों पाते हैं !

सुबह के आठ बजते ही
वो नौकरी पर जाते हैं,
रात के दस तक ही दोनों
लौट के वापिस आते हैं !

अपने परिवारिक रिश्तों से
वे बहुत कतराते हैं
अकेले अकेले रहकर वो
कैरियर बनाते हैं !

कोई उनसे मांग न ले कुछ
इससे मुंह छुपाते हैं,
भीड़ के बीच में रहकर भी
अकेले ही रह जाते हैं !

मोटे वेतन की सर्विस वो
यूहीं छोड़ न पाते हैं,
अपने नन्हे मुन्ने को भी
पाल कहां वो पाते हैं !

फुलटाइम की एक मेड
एजेंसी से बुलाते हैं,
उसीके जिम्मे वो बच्चे को
छोड़ के आफिस जाते हैं !

अपने ही परिवार को बच्चा
जान कभी न पाता हैं,
केवल 'आया आंटी' को ही
बस अब वो पहचानता हैं !

दादा-दादी, नाना-नानी दिखने में होते कैसे हैं,
अनजान ही रहता सबसे
किसी को न मानता हैं !

आया ही तो नहलाती हैं
आया ही हैं खिलाती,
यूनिफार्म पहनाकर स्कूल
कैब में वो ही बिठाती !

फिर छुट्टी के बाद कैब से
आया ही घर लाती हैं,
दिनभर उसके संग बिताती
उसका मन लगाती हैं !

नींद जो आती हैं उसको तो
आया ही सुलाती हैं,
जैसी भी उसको आती हैं
लोरी वही सुनाती हैं !

उसे सुलाने में अक्सर वो
साथ ही उसके सो जाती,
कभी जब मचलता हैं तो पार्क घुमाकर लाती हैं !

टीचर मैम जो उसे बताती
वही बात वो मानता हैं,
देसी खाना रोज छोडकर
पीज्जा बर्गर खाता हैं !

वीक ऐन्ड पे मौल जाकर
पिकनिक वो मनाता हैं,
केवल संडे की छुट्टी ही
पैरेंट के संग बिताता हैं !

वक्त कभी नहीं रुकता हैं
तेजी से चलता जाता,
वो स्कूल से पास होकर
कालेज में हैं आ जाता !

कान्वेंट में पढ़ लेने पर
इंडिया कहाँ भाता हैं,
आगे की पढाई करने को
वो विदेश ही जाता हैं !

वहाँ जो नये दोस्त बनते हैं
उनमें ही रम जाता हैं,
मां-बाप के पैसों से ही
खर्च अपना चलाता हैं !

धीरे-धीरे वो वहीं के
कल्चर में रंग जाता हैं,
मौम डैड से अब बस रिश्ता
पैसों का रह जाता हैं !

कुछ दिन बाद जब काम उसे
वहीं विदेश में मिल जाता,
जीवनसाथी अपना ढूंढकर
वो वहीं का हो जाता,

माँ बाप ने ख्वाब जो देखा
टूटकर रह जाता हैं,
बेटे के दिमाग में भी अब
कैरियर ही रंग लाता हैं,

बुढ़ापे में यूं माँ-बाप फिर अकेले ही रह जाते हैं,
जिन लोगों की अनदेखी की
उनसे आँख चुराते हैं,

क्यूं इतना कमाया उन्होने
सोचकर पछताते हैं,
घुट घुटकर जीते हैं अब
खुद से भी शरमाते हैं,

हाथ पैर ढीले हो जाते
चलने में दुख पाते हैं,
जाढ़-दाँत भी गिर जाते हैं
चश्मे मोटे लगाते हैं,

कमर झुक जाती हैं उनकी
कान से वो न सुन पाते,
वृद्धाश्रम में दाखिल होकर
वो जिंदा मर जाते हैं !!

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