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Beautiful thought

Beautiful thought

कोई भी मनुष्य किस बात को किस प्रकार से समझता है,यह उसकी मानसिकता तय करती है।
कोई दूसरों की थाली में से भी छीन कर खाने में अपनी शान समझता है तो कोई अपनी थाली में से दूसरों को निवाले खिला कर संतुष्ट होता है।
सारा खेल संस्कारों,समझ और मानसिकता का ही तो है।
लेकिन एक बात तो तयशुदा है कि छीन कर खाने वालों का कभी पेट नहीं भरता और बाँट कर खाने वाले कभी भी भूखे नहीं रहते।

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