अजीत डोभाल जी की शानदार स्पीच
#ओल्ड_बट_एपिक
"इस दुनिया में सबसे बड़ी अदालत इतिहास की है, कोर्ट में क्या हुआ, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ, युद्ध में क्या हुआ, इलेक्शन में क्या हुआ इन सबका कोई मूल्य नहीं है, मूल्य है तो सिर्फ इस बात का कि इतिहास में क्या लिखा जाएगा??? और, यदि आप इतिहास उठा कर देखें तो आपको पता चलेगा कि इतिहास ने कभी उसका साथ नहीं दिया जो न्यायसंगत था, इतिहास ने कभी उसका साथ नहीं दिया जो शांतिप्रिय था, अपितु इतिहास की अदालत में सदैव वही विजयी हुआ है जो शक्तिशाली था।
यदि इतिहास न्यायसंगत लोगों का साथ देता तो आज दिल्ली में बाबर रोड है, परन्तु राणा सांगा रोड नहीं क्यों, क्योंकि बाबर आया और उसने राणा सांगा को हरा दिया, भले ही राणा सांगा सही थे, न्यायसंगत थे परन्तु आज इतिहास ने उन्हें भुला दिया है।
हमारे हजारों वर्ष के इतिहास में हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, किसी अन्य धर्म को आहत नहीं किया, कभी भी हमने अन्य धर्म के धार्मिक स्थलों को नहीं तोड़ा, परन्तु इतिहास में जिस भारतवर्ष की सीमाएं अफगानिस्तान / ईरान तक थी आज सिकुड़कर यहां तक पहुंच गयी हैं।
हम न्यायसंगत थे, हम शांतिप्रिय थे, हम मानवता में विश्वास करते थे, परन्तु इतिहास ने हमें सजा दी, सजा इस बात की कि हमने अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं किया।
यदि विदेशी आक्रांताओं की शक्ति और उस समय भारतवर्ष की शक्ति का अनुपात निकाला जाए तो 1: 1000 का अनुपात भी नहीं था, फिर भी हम पर विदेशियों ने शासन किया, और न सिर्फ शासन किया वरन् जब उनका मन भर गया और वे जाने लगे तो यहां की सत्ता अपने गुलामों को सौंप गए, और तब भारत में गुलाम वंश का उदय हुआ।
इतिहास ने हमें सिर्फ इस बात की सजा दी कि हमने राष्ट्रहित से आगे अपने आदर्शों को रखा, यदि कभी conflict ऑफ़ interest हो तो आदर्शों से पहले राष्ट्रहित को रखें, अर्थात राष्ट्रहित में यदि कोई अनैतिक कार्य भी करना पड़े तो करें, यदि हिंसा करनी पड़े तो हिंसा करें कदापि पीछे न हटें....................अजीत डोभाल
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