Significance of basant panchami
बसंत का अर्थ
बसंत ऋतु तथा पंचमी का अर्थ है- शुक्ल पक्ष
का पाँचवां दिन अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार
यह पर्व जनवरी-फ़रवरी तथा हिन्दू तिथि के
अनुसार माघ के महीने में मनाया जाता है।
बसंत ऋतु
बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ
ऋतु माना गया है।
इस समय पंचतत्त्व अपना
प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं।
पंच-तत्त्व- जल , वायु , धरती , आकाश और
अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं।
आकाश स्वच्छ है, वायु सुहावनी है, अग्नि
( सूर्य) रुचिकर है तो जल पीयूष के समान
सुखदाता और धरती, उसका तो कहना ही
क्या वह तो मानो साकार सौंदर्य का दर्शन
कराने वाली प्रतीत होती है।
ठंड से ठिठुरे
विहंग अब उड़ने का बहाना ढूंढते हैं तो
किसान लहलहाती जौ की बालियों और
सरसों के फूलों को देखकर नहीं अघाते।
धनी
जहाँ प्रकृति के नव-सौंदर्य को देखने की
लालसा प्रकट करने लगते हैं
तो वहीं निर्धन
शिशिर की प्रताड़ना से मुक्त होने पर सुख
की अनुभूति करने लगते हैं।
सच! प्रकृति तो
मानो उन्मादी हो जाती है।
हो भी क्यों
ना! पुनर्जन्म जो हो जाता है।
श्रावण की
पनपी हरियाली शरद के बाद हेमन्त और
शिशिर में वृद्धा के समान हो जाती है
, तब
बसंत उसका सौन्दर्य लौटा देता है। नवगात,
नवपल्लव, नवकुसुम के साथ नवगंध का उपहार
देकर विलक्षण बना देता है।
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