पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन सरस्वती की भी पूजा होने लगी। पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन पतंग उड़ाने का रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और फिर कोरिया और जापान के रास्ते होता हुआ भारत पहुँचा। 'बसंत' शब्द का अर्थ वसंत और 'पंचमी' का अर्थ पांचवा दिन होता है, जिस दिन यह त्योहार पड़ता है।. रिवाज के हिसाब से सरस्वती मंदिरों को बसंत पंचमी के एक दिन पहले पवित्र चढ़ावे से भर दिया जाता है। माना जाता है कि मां सरस्वती इस समारोह में सुबह से ही शामिल हो जाती हैं और भोज को ग्रहण करती हैं। यह त्योहार एक बच्चे के जीवन लिये भी काफी शुभ है। इस दिन उसकी पढाई लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है। परंपरागत रूप से इस दिन बच्चे को पहला शब्द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है। ज्ञान की देवी की पूजा करने के साथ पढ़ाई लिखाई की भी शुरुआत करना एक शुभ काम माना जाता है। पीला रंग काफी महत्वपूर्ण रंग माना जाता है। यह समृद्धि, प्रकाश, ऊर्जा और आशावाद का प्रतीक है। इस रंग को बसंती रंग भी बोला जाता है। यही कारण है कि लोग इस दिन पीला रंग पहनते भी हैं और घर पर पीले रंग की मिठाइयां और पकवान आदि बनाते हैं। लोककथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन घर में धन और समृद्धि लाने के लिए सांप को दूध पिलाया जाता है। भारतीय त्योहार बिना मिठायों के अधूरा माना जाता है। इस दिन कुछ खास किसम की मिठाइयां प्रसिद्ध हैं, जैसे- बंगाल में बूंदी के लड्डू और मीठा भात चढ़ाया जाता है। वहीं बिहार में खीर, मालपुआ और बूंदी तथा पंजाब में मक्के की रोटी, सरसों का साग और मीठा चावल चढाया जाता हl इसी दिन लोग होलिका दहन के लिये एक बड़ी सी लकड़ी को सार्वजनिक स्थान पर रखते हैं। 40 दिनों तक लोग इस लकड़ी पर छोटी-मोटी टहनियां और अन्य चीज़ें डालते हैं, जो कि होली के दिन जलाई जाती है। रिवाज के हिसाब से सरस्वती मंदिरों को बसंत पंचमी के एक दिन पहले पवित्र चढ़ावे से भर दिया जाता है। माना जाता है कि मां सरस्वती इस समारोह में सुबह से ही शामिल हो जाती हैं और भोज को ग्रहण करती हैं। यह त्योहार एक बच्चे के जीवन लिये भी काफी शुभ है। इस दिन उसकी पढाई लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है। परंपरागत रूप से इस दिन बच्चे को पहला शब्द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है। ज्ञान की देवी की पूजा करने के साथ पढ़ाई लिखाई की भी शुरुआत करना एक शुभ काम माना जाता हैl पीला रंग काफी महत्वपूर्ण रंग माना जाता है। यह समृद्धि, प्रकाश, ऊर्जा और आशावाद का प्रतीक है। इस रंग को बसंती रंग भी बोला जाता है। यही कारण है कि लोग इस दिन पीला रंग पहनते भी हैं और घर पर पीले रंग की मिठाइयां और पकवान आदि बनाते हैं।
लोककथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन घर में धन और समृद्धि लाने के लिए सांप को दूध पिलाया जाता है।
भारतीय त्योहार बिना मिठायों के अधूरा माना जाता है। इस दिन कुछ खास किसम की मिठाइयां प्रसिद्ध हैं, जैसे- बंगाल में बूंदी के लड्डू और मीठा भात चढ़ाया जाता है। वहीं बिहार में खीर, मालपुआ और बूंदी तथा पंजाब में मक्के की रोटी, सरसों का साग और मीठा चावल चढाया जाता है।
इसी दिन लोग होलिका दहन के लिये एक बड़ी सी लकड़ी को सार्वजनिक स्थान पर रखते हैं। 40 दिनों तक लोग इस लकड़ी पर छोटी-मोटी टहनियां और अन्य चीज़ें डालते हैं, जो कि होली के दिन जलाई जाती है। यह त्योहार एक बच्चे के जीवन लिये भी काफी शुभ है। इस दिन उसकी पढाई लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है। परंपरागत रूप से इस दिन बच्चे को पहला शब्द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है। ज्ञान की देवी की पूजा करने के साथ पढ़ाई लिखाई की भी शुरुआत करना एक शुभ काम माना जाता है।पीला रंग काफी महत्वपूर्ण रंग माना जाता है। यह समृद्धि, प्रकाश, ऊर्जा और आशावाद का प्रतीक है। इस रंग को बसंती रंग भी बोला जाता है। यही कारण है कि लोग इस दिन पीला रंग पहनते भी हैं और घर पर पीले रंग की मिठाइयां और पकवान आदि
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
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