कचरा
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-अरे ! छोटे एक रिश्ता आया है तेरे लिए . लड़की बहुत अच्छी पढ़ी लिखी है , अपने पैरों पर खड़ी है. अक्सर विदेश आती जाती है और बहुत मिलनसार भी है .
-भैया देखो ! मुझे तो कोई ऐसी लड़की चाहिए जो माँ- बाबा का भी ख्याल रख सके . उनके बिना तो मैं रह नहीं सकता . जहा तक पैसे और कमाई की बात है मेरा खर्चा बहुत अच्छे से चल रहा है और मैं थोडा बहुत बचा भी लेता हूँ .
-अरे ! भाई , लड़की के बाप का थोक का व्यापार है , मेरे उनसे बिजनेस सम्बन्ध हैं और अगर ये रिश्ता हो गया तो बात सोने पे सुहागा हो जाएगी . तुम्हें भी मोटा दहेज़ मिलेगा और कमाऊ बीबी होगी तो तू भी नौकरी के बजाए अपना कोई कारोबार कर लेना . देख मैंने हाँ कह दी है और लड़की ने अशोका होटल में मिलने की बात कही है वह अकेले ही मिलना चाहती है तुमसे . तुम शनिवार को शाम आठ बजे पहुँच जाना l .
होटल में वह समय से पहुँच गया और निश्चित टेबल पर बैठ इंतज़ार करने लगा .
-ओ ! हाय , मैं सोनिया हूँ , आप राजेश ?
-जी , हाँ मैं राजेश हूँ . और मैं एक बड़ी कंपनी में नौकरी करता हूँ l .
-ये तो बहुत अच्छी बात है कि आप नौकरी करते हैं इसलिए मुझे अच्छे से समझ सकते . नौकरी वाले की सोच को एक नौकरीवाला ही समझ सकता है .
-अरे ! आपने तो कुछ लिया भी नहीं है . वेटर ! जरा दो ड्रिंक्स और नानवेज में कुछ लाईट ले आइये l .
-वेटर ! भाई एक ही लाना और मेरे लिए कोई जूस ले आइये l .
-ओहो ! आप ड्रिंक नहीं लेते ? और आप वेटर से भी भाई कहकर बात करते हैं , लगता है आप कभी विदेश नहीं गए l .
-मैं काम के सिलसिले में कई बार विदेश गया हूँ लेकिन मेरे माँ- बाबा ने मुझे सबको सम्मान देना सिखाया है इसलिए मैं किसी को छोटा नहीं समझता l .
कुछ देर बातें होती रही , ड्रिंक भी चलते रहे और बातों ही बातों में लड़की ने पूछा घर में कचरा कितना है ?
-जी हमारा घर तो बहुत साफ़ सुथरा है , नौकर भी रखा हुआ है काम करने के लिए l .
-ओ हो ! आप समझे नहीं मैं पूछ रही थी कि और कौन-कौन है घर में ?
-जी घर में मेरे माँ- बाबा और मैं ही हैं और हम्रारे घर में और किसी कचरे की जगह नहीं है l .
राजेश ने काउंटर पर जाकर बिल दिया और कचरे से दूर चला गया तेज क़दमों से l .
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