अण्डे का सच और रहस्य अंडा खाना छोड दे !
आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है , ब्राह्मणों से लेकर जैनियों तक सभी ने खुल्लम खुल्ला अंडा खाना शुरू कर दिया है ...
खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ ।
मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय मनुष्य) में एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है ।
उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार .... चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है ..
उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ चूल्हा रसोई घर आदि से दूर रखा जाता है ..
यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में ...
शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है ।
इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..
मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है ..
इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..
एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये , वह पौधा सूख जाएगा.........
अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर
१) पक्षियों (मुर्गियों) में भी अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ।
२) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है ।
३) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है ।
४) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में (estrogen ) हार्मोन के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermia, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि ...वही स्त्रियों में अनियमित मासिक , बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है ।
५) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है ।
६) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है ।
7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक और अपवित्र और चंडाल कर्म है इस को खाने से कई तरह के रोग शरीर में उत्पन्न होने लगते हैं ।
आप के पुण्य कर्म नष्ट हो कर आपकी बुद्धि को विकृत कर देते
हैं ।
इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है ।
अग्नि पर जब फल, फुल अनाज, दूध, दहीं, घी, तेल डाला जाता है तो वो यज्ञ बन जाता है !!!
और.... उसी अग्नि पर जब मुर्दा , हड्डी , मांस का शरीर रखा जाता हे फिर वो पूरा हो या कटा हुआ हो तो वो चिता बन जाती है !!!
हमें भी जब भूख लगती है तो कहा जाता है की हमारे भीतर जठराग्नि प्रज्जवलित हुई है और वो भी अग्नि है और जब ये जठराग्नि प्रज्जवलित होती है , तब हम उस में भी कुछ ना कुछ डालते है ।
अगर हम उस में अण्डा , चिकन , मटन या मांस का कुछ भी डालते हे तो वो चिता बन जाती है और अगर हम उसमे फल , फुल , अनाज , दूध , दहीं , घी , तेल डालते है तो वो यज्ञ बन जाता है !!
अब आप के भीतर चिता हो या यज्ञ यह निर्णय आप को करना है !!!
इसलिए शाकाहारी बने ।।
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