फ्रांस में हुए हमले के तुरंत बाद वहां के सारे टैक्सी वालों ने अपने मीटर बंद कर दिए और जिसे जहाँ जाना था उसे मुफ़्त सेवाएँ दी । वहां के लोगों ने अपने घरों में उन लोगों के रहने की मुफ़्त व्यवस्था की जिनके पास ठहरने की व्यवस्था नहीं थी ।घायलों के इलाज के लिए हस्पताल के बाहर खून देने वाले नवजवानों की लाइन लगी थी ।
ठीक विपरीत हमारे देश में ऐसे हालात में टैक्सीवाले मनमाना किराया वसूलना शुरू कर देते है , दूकानदार आवश्यक वस्तुऍ दुगने तिगुने भाव में बेचने लग जाते है । दूध, पानी हर चीज महँगी हो जाती है । घरों के दरवाजे बंद हो जाते है ।
हमें आतंकवादियों पर फ्रांस जैसी कार्यवाही तो चाहिए पर वहां के लोगों जैसी इंसानियत नहीं ! हमें वहाँ के राष्ट्रपति जैसा दबंग नेता तो चाहिए पर भ्रष्टाचार पर लगाम कसने वाला नहीं ! हमें वैसी साधन सम्पन्न फ़ौज तो चाहिए पर हमें अनुशासन और राष्ट्रीयता सिखाने वाले सिपाही नहीं !!
ज़रा अपने गिरेबान में झांकिए ! क्या आप सचमुच वो सब deserve करते है जो आप देश से अपने लिए चाहते है ?
क्या देश में भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, गुंडागर्दी, गरीबी बढ़ाने, फ़ैलाने में आपका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान नहीं है ?
जरा सोचिये !!
देश वैसा ही होगा जैसे उसके नागरिक होंगे....
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